कंप्यूटर और मोबाइल, Latest Gadget Gyan, Tech & Gadgets Electronic | NavBharat Timeshttp://navbharattimes.indiatimes.com/articlelist/2355187.cmsLatest gadget news & gadgets gyan on emerging mobile handsets, hottest tech products, consumer electronics and more, NavBharat Times, नवभारत टाइम्सhiSun, 05 Jun 2016 10:28:46 GMTCopyright:(C) 2016 Bennett Coleman & Co. Ltd, http://in.indiatimes.com/policyterms/1554651.cmsNavbharat Timeshttp://navbharattimes.indiatimes.com/photo/3379690/logo.jpghttp://navbharattimes.indiatimes.com/articlelist/2355187.cmsलॉन्चिंग से पहले ही होगी 'वनप्लस 3' की फ्लैश सेलhttp://navbharattimes.indiatimes.com/tech/computer-mobile/OnePlus-3-will-have-a-flash-sale-before-Its-launching/articleshow/52603197.cms<img src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo/52603227/photo-Oneplus.jpg" />स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस जून 15 को अपना नया स्मार्टफोन वनप्लस 3 लॉन्च करने जा रही है। मगर...स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस जून 15 को अपना नया स्मार्टफोन वनप्लस 3 लॉन्च करने जा रही है। मगर...
स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस जून 15 को अपना नया स्मार्टफोन वनप्लस 3 लॉन्च करने जा रही है। मगर इस स्मार्टफोन को लॉन्च करने से पहले ही वह चीन में फ्लैश सेल के जरिए इसकी 1000 यूनिट्स बेचेगी। यह सेल 6 जून को होगी। इसके लिए स्मार्टफोन की कीमत 2,999 युआन यानी करीब 30 हजार 500 रुपये रखी गई है। स्मार्टफोन्स की शिपिंग 15 जून से शुरू होगी।

वनप्लस का कहना है कि जिस कीमत पर इसे लॉन्चिंग से पहले वाली सेल में बेचा जाएगा, वह इसकी असली कीमत नहीं है। असली कीमत की जानकारी लॉन्चिंग के वक्त ही दी जाएगी। कंपनी ने यह भी कहा कि अगर लॉन्चिंग प्राइस उस दिन कम रहता है तो बचे हुए पैसे फ्लैश सेल वाले ग्राहकों को वापस कर दिए जाएंगे और अगर कीमत ज्यादा होती है तो उनसे अधिक पैसे वसूले जाएंगे।

वनप्लस इंडिया ने अपने अपकमिंग फोन का एक टीज़र जारी किया है। यह सिर्फ 6 सेकंड का है, जिससे डिवाइस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती, मगर 14 जून को लॉन्चिंग के बारे में बताया जाता है। यह भी साफ होता है कि इसे ऐमजॉन से खरीदा जा सकेगा।

अभी तक लीक होकर मिली जानकारियों के मुताबिक कंपनी इस फोन को 4 वैरियंट्स में लॉन्च कर सकती है। पहले दो वैरियंट 4 जीबी रैम, 32जीबी स्टोरेज और 4जीबी रैम, 64 जीबी स्टोरेज वाले होंगे, जबकि अन्य दो में 6जीबी रैम के साथ 32जीबी मेमरी व 6 जीबी रैम के साथ 64 जीबी मेमरी वाले होंगे।

कंपनी ने यह भी साफ किया है कि इस बार इनवाइट्स की जरूरत नहीं होगी और सेल के लिए पर्याप्त स्टॉक रखा गया है।

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जानिए ई-वेस्ट को ठिकाने लगाने के बेस्ट तरीकेhttp://navbharattimes.indiatimes.com/tech/tips-and-tricks/How-to-dispose-e-waste/articleshow/52592730.cms<img src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo/52601222/photo-E-waste.jpg" />ई-वेस्ट को ठिकाने लगाने के तरीके पता हैं आपको? नहीं तो यह पढ़ें...ई-वेस्ट को ठिकाने लगाने के तरीके पता हैं आपको? नहीं तो यह पढ़ें...
दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी के लिए सुपरमैन या स्पाइडरमैन बनने की जरूरत नहीं है। अपने अधिकारों और सामूहिक जिम्मेदारी के जरिये पर्यावरण बचाने की मुहिम न सिर्फ आपको जीवन जीने का बेहतर माहौल देगा, बल्कि आपको यह संतुष्टि भी रहेगी कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आप बेहतर दुनिया छोड़ कर जाएंगे। दुनिया को बेहतर बनाने के कुछ तरीके बता रहे हैं अमित मिश्रा:

ऐसे पहचानें ई-वेस्ट
आपने ध्यान दिया होगा कि घरों से निकलने वाले कबाड़ में अब पुराने कंप्यूटर, मोबाइल फोन, सीडी, टीवी, अवन, फ्रिज और एसी जैसे तमाम इलेक्ट्रॉनिक आइटम होते हैं। बदलते जमाने के हिसाब से तकनीक बदली और पुराना कम्प्यूटर, मॉनिटर, माउस, की-बोर्ड ई-वेस्ट में शामिल हो गए। पुराने फैक्स, मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, कंडेंसर, माइक्रो चिप्स, कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टीवी आदि गैजट्स ई-वेस्ट कहलाते हैं। ई-वेस्ट से निकलने वाले केमिकल लिवर, किडनी पर असर डालने के अलावा कैंसर, लकवा जैसी बीमारियों का कारण बन रहे हैं। सिर्फ इंसान ही नहीं, इस कचरे से जमीन भी खराब हो रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने कुछ साल पहले जब सर्किट बोर्ड जलाने वाले एक इलाके के आसपास रिसर्च कराई, तो पूरे इलाके में बड़ी तादाद में जहरीले तत्व मिले, जिनसे वहां काम करने वाले लोगों को कैंसर होने की आशंका जताई गई। क्या करें इसका दुनिया भर में कंप्यूटर ई-वेस्ट का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। इनसे निपटने के दो तरीके हैं।

1. जरूरतमंदों को पुराने कंप्यूटर दें:
हमारे देश में कई एनजीओ हैं जो आपके पुराने कंप्यूटरों या गैजट्स को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जो इन्हें खरीद नहीं सकते। आपको उनकी वेबसाइट पर जाकर अपने पास उपलब्ध चीजों के बारे में बता कर कलेक्ट करने के लिए कहना होगा। वह खुद आकर आपसे आकर पुराना कंप्यूटर ले लेंगे। ऐसी ही एक सर्विस DonateYourPC.in है। यह आपसे पुराना कंप्यूटर लेकर इसे एनजीओ तक पहुंचाते हैं। आप Pratham, United Way of Mumbai, ChildLine India नाम के एनजीओ की साइट पर जाकर अपने पुराने वर्किंग कंप्यूटर और इससे जुड़ी अक्सेसरीज डोनेट कर सकते हैं।

2. कंपनियों को वापस करें
दुनिया भर की तरह देश में भी कई कंपनियां हैं जो अपनी कंपनी के ई-वेस्ट को वापस करने का मौका देती हैं जिससे उन्हें ऐसे खत्म किया जाए कि पर्यावरण को नुकसान न हो। ये कंपनियां हैं: HCL, WIPRO, Nokia, Acer, Motorola, LG, Dell, Lenovo और Zenith आदि। इनकी वेबसाइट पर जाकर हेल्पलाइन नंबरों से ई-वेस्ट वापस करने की पॉलिसी जानी जा सकती है। कुछ कंपनियां इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाती हैं तो कुछ डिलिवरी सेंटर पर जमा करने के लिए कहती हैं। - सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी देश भर के हर राज्य में ऐसी एजेंसियों को अधिकृत किया है जो सुरक्षित तरीके से ई-वेस्ट का निपटारा करती हैं। www.cpcb.nic.in/e_Waste.php पर इनकी पूरी लिस्ट देखी जा सकती है।

कूड़े से निपटें पर संभलकर
कूड़ा-कचरा पर्यावरण के लिए हर लिहाज से खतरनाक है लेकिन इसे खुले में जलाकर इसे निपटाना परेशानी मिटाने की बजाय बढ़ा देता है। इसके लिए बाकायदा सरकार और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गाइडलाइंस जारी की हैं।

- एनजीटी की गाइडलाइंस के अनुसार आसपास कूड़ा या पत्तियां के जलाए जाते पकड़े जाने पर 2000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
- इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी प्रदेश के पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सिविक बॉडीज जैसे एमसीडी, एनडीएमसी आदि की तय की गई है।
- कूडे से सेफ तरीके से निपटने के लिए सिविक बॉडीज को हर तरह के कूड़े के निपटारे के सही तरीके को चुनना होता है। मिसाल के तौर पर पत्तियों को पार्क में कंपोस्ट की तरह इस्तेमाल करके। प्लास्टिक या पॉलिथिन को रिसाइकल प्लांट में भेजकर आदि।

यहां करें रिपोर्ट
- हालांकि इससे पुलिस का सीधे कोई लेना-देना नहीं है लेकिन फिर भी इस तरह की किसी घटना की संबंधित थाने में या 100 नंबर पर जानकारी दी जा सकती है। पुलिस अमूमन मौके पर पहुंचकर बर्निंग को रोक देती है और संबंधित सिविक बॉडी को ऐक्शन लेने को कहती है।
- वैसे अपने शहर के नगर निगम के ऑफिस में सीधे फोन भी किया जा सकता है। दिल्ली के मामले में www.mcdonline.gov.in/ पर Complaints/Grievances सेक्शन में जाकर फॉर्म भर कर रिपोर्ट किया जा सकता है। अगर फोन करना चाहते हैं तो वेबसाइट पर ही हर जोन के हेल्पलाइन नंबर मौजूद हैं जहां फोन करके सीधे शिकायत की जा सकती है। जब भी शिकायत करें, कंप्लेंट नंबर जरूर ले लें।
- अगर कहीं सुनवाई न हो तो अपने कंप्लेंट नंबर के साथ सीधे स्टेट पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड या एनजीटी में शिकायत कर सकते हैं। हालांकि ये सीधे शिकायतों पर सुनवाई नहीं करते लेकिन अगर मामला गंभीर और अथॉरिटी की लापरवाही का है तो आदेश दे सकते हैं।

पॉलिथिन से मुक्ति
सरकार की तरफ से तमाम कोशिशों के बावजूद दुकानों से पॉलिथिन गायब नहीं हुई हैं। इसमें अथॉरिटी के अलावा इसकी मांग करने वालों की जिम्मेदारी का न तय होना भी एक कारण है। सरकार ने पॉलिथिन के इस्तेमाल को लेकर सख्त नियम बनाए हैं लेकिन इन पर अमल नहीं हो रहा है। सरकार ने पॉलिथिन को लेकर नए नियम प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट 2016 में नोटिफाई कर दिए हैं। जो इस तरह हैं:

- 40 माइक्रोन की जगह अब 50 माइक्रोन से पतली पॉलिथिन नहीं बेची जा सकती।
- कोई भी रिटेलर या सड़क के किनारे दुकान लगाने वाला तय सीमा से बाहर पॉलिथिन बैग में सामान नहीं दे सकता।
- अगर कोई भी रिटेलर या सड़क के किनारे का दुकानदार इन नियमों का उल्लंघन करता है तो लोकल अथॉरिटी जैसे नगरपालिका, नगर निगम या म्यूनिसिल अथॉरिटी के तय नियमों के तहत उसे फाइन देना होगा।
- अगर कोई दुकानदार पॉलिथिन में सामान बेचना चाहता है तो उसे नगरपालिका में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद इन्हें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट फीस भरनी होगी। फिलहाल सरकार ने इसे 4 हजार रुपये हर महीने या 48 हजार रुपये सालाना रखा है। इसे अथॉरिटी प्लास्टिक वेस्ट का निपटारा करने के लिए इस्तेमाल करेगी। अगर लोकल अथॉरिटी चाहे तो इस चार्ज को बढ़ा भी सकती है। कहां करें शिकायत
- तय सीमा से नीचे की पॉलिथिन का इस्तेमाल रोकने की जिम्मेदारी स्टेट पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल कमिटी की है। म्यूनिसिपल बॉडी की जिम्मेदारी है कि नियमों को लागू करने करने की है।
- अगर कोई गलत तरीके से पॉलिथिन का इस्तेमाल या निपटारा कर रहा है तो पुलिस (100 नंबर पर फोन) या म्यूनिसिपल बॉडीज में शिकायत की जा सकती है। मिसाल के तौर पर www.mcdonline.gov.in/ पर Complaints/Grievances सेक्शन में जाकर फॉर्म को भरकर रिपोर्ट किया जा सकता है। अगर फोन करना चाहते हैं तो वेबसाइट पर ही हर जोन के हेल्पलाइन नंबर हैं जहां फोन करके सीधे शिकायत की जा सकती है। जब भी शिकायत करें, कंप्लेंट नंबर जरूर ले लें।

मेडिकल वेस्ट है खतरनाक
- सरकार ने मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों के तहत ब्लड कैंप से लेकर हर तरह की मेडिकल एक्टिविटीज को इस दायरे में ला दिया है। अब हर तरह के मेडिकल वेस्ट को मैनेज करने की जिम्मेदारी उस संस्था या हॉस्पिटल की है जो इसे फैलाने के लिए जिम्मेदार है।
- मेडिकल वेस्ट को आम कूड़े-कचरे वाली जगह पर नहीं फेंका जा सकता। इसके निपटारे के लिए सही जगह देने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की है।
- कोई भी हॉस्पिटल, ऑर्गेनाइजेशन ऑनसाइट मेडिकल वेस्ट को डंप नहीं कर सकते, जब तक कि उसकी दूरी ऐसे किसी डंपिंग जोन से 75 किलोमीटर से ज्यादा न हो।


कहां करें मेडिकल वेस्ट को रिपोर्ट
- किसी भी रिहाइशी इलाके के आसपास ऐसे वेस्ट को लोकल पुलिस या पल्यूशन अथॉरिटीज को रिपोर्ट किया जा सकता है।
- इस तरह का कूड़ा आम कूड़े से ज्यादा खतरनाक हो सकता है इसलिए कर्रवाई काफी तेजी से होना जरूरी होता है।
- इन्हें म्यूनिसिपल अथॉरिटी को रिपोर्ट करने के बाद अगर सुनवाई नहीं होती है तो कंप्लेंट नंबर के साथ पल्यूशन अथॉरिटी या एनजीटी को सीधे भी रिपोर्ट किया जा सकता है।

स्मोकिंग, खुद के साथ सबको नुकसान
- सिगरेट या किसी भी तरह से स्मोकिंग करने वाला अपना नुकसान तो करता ही है, साथ ही आसपास के वातावरण में धुंआ छोड़कर उसे भी प्रदूषित करता है।
- सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या चिलम आदि पीने पर रोक लगाने के लिए सरकार ने Cigarettes and Other Tobacco Products Act या कोटपा (COTPA) नाम से कानून बनाया है। इसमें सार्वजनिक जगहों जैसे मार्केट, सिनेमा हॉल, बस स्टैंड, सड़क के किनारे आदि जैसी जगहों पर स्मोकिंग करने पर रोक लगाई गई है।
- किसी भी पब्लिक प्लेस पर सिगरेट-बीड़ी पीने पर पुलिस 200 रुपये जुर्माना कर सकती है।

कैसे करें रिपोर्ट
- अगर आपको लगता है कि कोई स्मोकिंग करके आसपास का माहौल और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है तो आसपास मौजूद पुलिस अथॉरिटी या 100 नंबर पर फोन करके भी रिपोर्ट कर सकते हैं।

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इंटेक्स ने लॉन्च की नई स्मार्टवॉच आईरिस्ट प्रोhttp://navbharattimes.indiatimes.com/tech/computer-mobile/Intex-launches-new-smartwatch-iRist-Pro/articleshow/52587287.cms<img src="http://navbharattimes.indiatimes.com/photo/52587378/photo-iRist.jpg" />इंटेक्स टेक्नॉलजीज़ ने अपनी नई स्मार्टवॉच आईरिस्ट प्रो (iRist Pro) लॉन्च की है। ऐल्यूमीनियम...इंटेक्स टेक्नॉलजीज़ ने अपनी नई स्मार्टवॉच आईरिस्ट प्रो (iRist Pro) लॉन्च की है। ऐल्यूमीनियम...
इंटेक्स टेक्नॉलजीज़ ने अपनी नई स्मार्टवॉच आईरिस्ट प्रो (iRist Pro) लॉन्च की है। ऐल्यूमीनियम ऐलॉय बॉडी और 2.5 D कर्व्ड ग्लास से बनी यह वॉच काले और मस्टर्ड कलर वैरियंट्स में लॉन्च की गई है। इसमें ट्रांस रिफ्लेक्टिव 240x240 रेजॉलूशन वाली स्क्रीन लगी है, जो धूप में भी अच्छा डिस्प्ले देती है। स्क्रीन ऑफ होने पर टाइम भी दिखता रहता है।

यह स्मार्टवॉच फोन पर आने वाली हर तरह की नोटिफिकेशन को डिस्प्ले करती है, कॉल लॉग दिखाती है और इसकी मदद से ब्लूटूथ के जरिए कॉल रिसीव भी की जा सकती है और डायल भी।

इसमें पीडोमीटर भी लगा है, जिससे यह स्टेप मॉनिटरिंग, डिस्टेंस मेज़रमेंट और कैलरी काउंट करती है। इसके साथ इंटरचेंजेबल स्ट्रैप्स इस्तेमाल हो सकते हैं। इसके साथ अतिरिक्त नाइलॉन स्ट्रैप फ्री मिलेगा।

इसकी रैम 64 MB है और इनबिल्ट स्टोरेज 128 MB है। बैटरी 400 mAh है। यह ऐंड्रॉयड 4.3 या इससे ऊपर या iOS7 या इससे ऊपर के OS के साथ काम करती है। कंपनी ने आईरिस्ट प्रो को 4,999 रुपये में लॉन्च किया है। इसे फ्लिपकार्ट से ही खरीदा जा सकता है।

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Article at NavbharatTimes.com with article id:52587287Sat, 04 Jun 2016 09:51:33 GMT
सावधान! आपकी बात रिकॉर्ड कर रहा है गूगलhttp://navbharattimes.indiatimes.com/tech/computer-mobile/Google-is-recording-your-voice-even-when-you-are-offline/articleshow/52567667.cmsअगली बार अगर आप अपने ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन को 'ओके गूगल' कहें, तो ध्यान रखिएगा। गूगल चुपके-चुपके आपके वॉइस...अगली बार अगर आप अपने ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन को 'ओके गूगल' कहें, तो ध्यान रखिएगा। गूगल चुपके-चुपके आपके वॉइस...
नई दिल्ली
अगली बार अगर आप अपने ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन को 'ओके गूगल' कहें, तो ध्यान रखिएगा। गूगल चुपके-चुपके आपके वॉइस कमांड्स को रिकॉर्ड कर रहा है । अब तक, लोगों को यकीन नहीं होता था कि गूगल उनके वॉइस कमांड्स रिकॉर्ड करता है, लेकिन अब इसके पुख्ता सबूत सामने हैं जो खुद गूगल ने पेश किए हैं।

द इंडिपेंडेंट में छपी एक खबर के मुताबिक, सर्च जायंट ने जून 2015 में एक नई वेबसाइट लॉन्च की थी जिसपर खुलासा हुआ कि ओके गूगल रिजल्ट्स सहेजकर रखे जाते हैं। यह ऑडियो हिस्ट्री वेबसाइट हर ओके गूगल वॉइस सर्च का ब्यौरा रखती है, जिसमें शुरुआती कमांड्स बी शामिल हैं।

अपनी पहली ओके गूगल वॉइस सर्च कमांड को सुनकर कई यूजर्स की हंसी छूट जाएगी। लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि गूगल अपने यूजरों के बारे में कितनी जानकारी इकट्ठा करता है । न सिर्फ वह याद रखता है कि लोग फोन पर क्या टाइप कर रहे हैं, बल्कि कौन-से वॉइस कमांड्स दे रहे हैं, यह भी उसकी हिस्ट्री में दर्ज रहता है।

गूगल का कहना है कि यह वॉइस-सर्च में सुधार लाने के लिए है। इसका मतलब है कि वॉइस कमांड्स सेव कर गूगल शब्दों और कहावतों का उच्चारण और यूजर के बोलने का तरीका सीखता है।

गूगल कहता है, 'गूगल आपकी आवाज और दूसरे ऑडियो के साथ 'ओके गूगल या माइक्रोफोन आइकन टैप करने के आसपास के कुछ सेकंड्स का साउंड भी रिकॉर्ड करता है। आपका ऑडियो आपके अकाउंट में तभी सेव होता है जब आप साइन इन कर चुके हों। सभी ऐप्स आपके अकाउंट में आपकी आवाज रिकॉर्ड करने के फीचर को सपोर्ट नहीं करतीं।'

शुक्र है, गूगल यूजर्स को इतना हक तो देता है कि वह अपनी ऑडियो रिकॉर्डिंग हिस्ट्री को डिलीट कर सकते हैं। साथ ही, वॉइस और ऑडियो ऐक्टिविटी को भी ऑफ किया जा सकता है।

जानकारी इकट्ठा करने के मामले में गूगल शायद अब पारदर्शिता अपना रहा है। लेकिन अब वक्त है उस जानकारी के बारे में सोचने का जो गूगल इकट्ठा कर रहा है और जिसका खुलासा नहीं कर रहा है। खासतौर से उस वक्त रिकॉर्ड हो रही चीज़ें जब लोग ऑफलाइन हों।

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फेसबुक से जकरबर्ग की विदाई की तैयारी शुरू?http://navbharattimes.indiatimes.com/tech/computer-mobile/Facebook-board-curbing-down-the-control-of-Mark-Zuckerberg-in-company/articleshow/52566153.cmsफेसबुक आईएनसी के बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि फेसबुक से अब मालिक मार्क जकरबर्ग का 'दखल' कम कर दिया जाए। गौरतलब है कि सबसे...फेसबुक आईएनसी के बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि फेसबुक से अब मालिक मार्क जकरबर्ग का 'दखल' कम कर दिया जाए। गौरतलब है कि सबसे...
फेसबुक आईएनसी के बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि फेसबुक से अब मालिक मार्क जकरबर्ग का 'दखल' कम कर दिया जाए। गौरतलब है कि सबसे बड़ी सोशल मीडिया कम्पनी के फाउंडर और सीईओ मार्क जकरबर्ग इस बात का संकेत दे चुके हैं कि वे आने वाले समय में मैनेजमेंट को अलविदा करने की तैयारी में हैं।

यूएस सिक्यॉरिटीज और एक्सचेंज कमिशन (SEC) में एक प्रॉक्सी फाइल करते हुए फेसबुक के बोर्ड ने इस बात का खुलासा किया। बोर्ड ने कहा कि वह शेयरधारकों से एक प्रस्ताव पर वोट करने के लिए कहेगी जिसके तहत नेतृत्व में न होने पर जकरबर्ग के क्लास B शेयर क्लास A शेयरों में बदल जाएंगे।

2 जून तक, जकरबर्ग के पास करीब 40 लाख A क्लास शेयर हैं और 41.9 करोड़ क्लास B शेयर हैं। कुल मिलाकर उनके पास आउटस्टैंडिंग वोटिंग पावर का 53.8% है और कुल आउटस्टैंडिंग इकॉनमिक इंट्रेस्ट्स का 14.8% हिस्सा है।

इस प्रस्ताव को फेसबुक की वार्षिक जनरल मीटिंग में 20 जून को रखा जाएगा। बोर्ड ने फाइलिंग में कहा है, 'इन नए नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फाउंडर के हटने के बाद हम एक फाउंडर नियंत्रित कम्पनी बनकर न रह जाएं।' मौजूदा हालात में जकरबर्ग को क्लास B शेयर रखने का अधिकार है और वह कम्पनी छोड़ने के बाद भी मेजॉरिटी वोटिंग कंट्रोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जकरबर्ग को यह भी अधिकार है कि वह अपने बाद अपने वारिसों को अपने क्लास B शेयर और संभवत: अपना मेजॉरिटी वोटिंग कंट्रोल भी दे सकते हैं।

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Article at NavbharatTimes.com with article id:52566153Fri, 03 Jun 2016 05:28:11 GMT